बुधवार, 25 जनवरी 2017

तिरुपति बालाजी मंदिर पहले बौद्ध विहार था.

🗼तिरुपति बालाजी मंदिर पहले बौद्ध विहार था...।
सिर मुंडन💇 करने की प्रथा किसी भी हिन्दू मंदिर में नही है, ये प्रथा सिर्फ बौद्ध धम्म की है। बालाजी मंदिर में पहले जो भी भिक्खु बनने आता था उसका सर मुंडन किया जाता था। मुंडन की ये प्रथा आज भी चली आ रही है।
तिरुपति बालाजी की जो मूर्ति है वो बुद्ध की ही है। समय के साथ ब्राह्मणों ने कब्जा करके बुद्ध को बालाजी बना दिया और अपना व्यसाय शुरू कर दिया।

उसी तरह पंडरपुर का मंदिर भी बौद्ध विहार था उसे भी ब्राह्मणों ने व्यसाय करने के लिए बुद्ध की मूर्ति को विट्ठल बना दिया। यदि मूर्ति का सभी कपडा हटा कर देखेंगे तो सच्चाई सामने आ जायेगी, तथा वहाँ के दिवालो में पाली भाषा में लिखा हुआ लेख भी बौद्ध विहार होने का पुष्टि करता है...

उसी तरह जगननाथ पूरी का मंदिर भी बौद्ध विहार था,,,
अब इसके आगे एक ही शब्द है की पहले पूरा भारत बौद्धमय था,,,
धीरे धीरे लोग समझदार होंगे और कर्मकांडो से दूर होंगे तथा भारत फिर से बौद्धमय होगा,,,
🌹जय भिम🌹


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