रविवार, 1 जनवरी 2017

भगवान की उत्पति

भगवान की उत्पति 

 दोस्तों मैं  अरुण गौतम आज अपनी  जुडी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हु , जब मैं पैदा हुवा तब से एक ही शब्द सुन रहा हु बधाई हो भगवान की मर्जी से लड़का हुवा है,अगर कोई मर गया तो भी लोग बोलते थे की सब भगवान  की मर्जी से होता है ,मुझे समझ में नहीं आ रहा था की सब भगवान करते है तो फिर हम क्या करते है हमें किस लिए कशुर वॉर लोग कहते है ,मेरे मन में नजाने कैसे कैसे सवाल पैदा होते रहते थे मुझे कुछ समझ  में नहीं आ रहा था की क्या कर जब मुझे स्कूल भेज जाता तो कहता स्कूल जाने की क्या जरुरत है मई सरस्वती से ज्ञान ले लूंगा भगवान की मर्जी होगी तो मुझे भी नौकरी  जाएगी  ,पापा बोलते तू पागल हो गया है , फिर मैंने डिसाइड किया की मुझे भगवान से मिलना है यही मेरा उद्देश्य है ,फिर मैं रामायण ,गीता ,बाइबल यहाँ तक की अपने एक दोस्त से कुरान भी सुना ,बहुत सी धार्मिक किताबे पढ़ डाली जिस उम्र में बचे खेलते थे उस वक्त मैं भगवान की खोज किया करता था ,लेकिन मुझे किसी भी धार्मिक किताबो में भगवान नहीं नजर आया सिर्फ पाखण्ड ही नजर आ रहा था रामायण और बाइबल तो पढ़ के मुझे इतना हशी आता था की आप सोच नहीं सकते जैसे किसी मुर्ख ने अछि कॉमेडी की किताब लिखी हो ,अगर वो  वो सब किताबे सच है तो हमारा विज्ञानं गलत है,

         रामायण दुनिया की सबसे बड़ी सबसे मोटी मंग्रहण एक काल्पनिक किताब है 
लेकिन सच ही कहा जाता है की चाहत हो तो कुछ भी पाया जा सकता है मुझे एक दिन भगवान मिल ही गया मैंने उसे अपनी आँखों से देखा जो हमारे आँखों के बिलकुल ही सामने रहता था ,लेकिन दुनिया वाले उससे अनजान थे , 
तो चलिए आज मैं आज आप को भी भगवान से मिला ही देता हु हां लेकिन एक बात मेरी आप को माननी होगी आप उसे पूजा न करने लगिएगा वो कुछ नहीं कर सकता वो हमें सिर्फ जिन्दा रखने के लिए जरुरी है ,उसे तो पता भी नहीं होगा की हम कौन है ,
   तो चलिए सबसे पहले भगवान शब्द को खण्डित करते है -
                  भ + ग + व् + अ + न = भगवान    
आप ने देखा की भगवान शब्द पाँच शब्दो से मिला है और मैं आप को याद दिल दू की हमारे शरीर की संरचना भी पाँच तत्वो से मिल के हुई है ,इस टॉपिक पे हम बाद में बात करेंगे चलिए पहले मैं आप को भगवान को दिखा दू 

भ - भूमि -       क्या हमारा जीवन बिना भूमि के सम्भव है ,नहीं है
ग - गगन-       क्या हमारा जीवन बिना गगन के एक पल भी सम्भव है नहीं है
व् - वायु -         क्या हमारा जीवन बिना वायु के सम्भव है एक पल भी नहीं जिन्दा रह सकते
अ - अग्नि-      क्या हमारा जीवन बिना अग्नि के सम्भव है नहीं है
न - नीर -         क्या हमारा जीवन बिना नीर यानि पानी के एक पल भी सम्भव है नहीं

    भगवान इसे कहा गया है लेकिन हमारे देश के कुछ मुर्ख पंडितो ने अपना पेट भरने के लिए मंदिर रूपी कंपनी के
     प्रोडक्ट  को भगवान बता दिया ,  आप जिसे मंदिर में देखते हो वो सिर्फ एक प्रोडक्ट है जिससे मूर्खो लोग लोगो को भृमित कर के अपना पेट पालते है , सबसे खास बात तो ये है की इन्ही पाँच तत्वो से हमारे शरीर की संरचना हुवी यानि हम लोग ही भगवान है , 

    हमारे अंदर अपरम पार शक्तिया है हमारे अंदर जो है उसे में से  हम कुछ नहीं  जानते है, क्यों की पाखंडियो ने हमें भृमित कर के हमें कभी जानने ही नहीं दिया , आप खुद  ही देख सकते है जिन लोगो ने पाखंड को तोड़ के भगवान पे आश्था न रखके अपने शक्तियों  को जाना है अपने आप में खोज किया है , आज दुनिया उन्हें भगवान मानती है जैसे गौतम बुध ,डा भीमराव आंबेडकर ,अनेको ऐसे माह पुरुष है जो अपनी इन्दिर्यो को जागृत किया है ये लोग भी हमारी ही तरह पैदा इसी धरती पे हुवे थे उनमे  बस इतना फर्क है की वो लोग भगवान  को नहीं मानते थे ,

    मैं आप से बस यही गुजारिस करूँगा की आप भी इस पाखण्ड से बहार निकले और अपनी शक्तियों को पहचानिये हमारे अंदर ही सारी शक्तिया मौजूद है हमें बस उसे जागृत करना है ,  हम अपने आप को जिस दिन बस में कर लेंगे उस दिन पूरी दुनिया को बस में  करने की शक्ति हमारे अंदर आ जाएगी

    चलता हु दोस्तों फिर मिलेंगे एक नए सोच  साथ आप का दोस्त  अरुण गौतम (महानास्तिक )



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