बुधवार, 12 जुलाई 2017

शुद्रो को उनकी औकात

ये पोस्ट उन शुद्रो को उनकी औकात बताने के लिये समर्पित है जो ब्याज पर कर्जा लेकर कांवर ढोते है, रामायण/महाभारत का तो कीर्तन पाठ करवाते है पर सम्मानित जीवन जीने का अधिकार देने वाले संविधान को नही पढ़ते , अपनी गुलामी की बेड़ियों को खुद मजबूत करते है और फर्जी सीना फुलाकर घूमते है...

शूद्र(obc sc st) की हिन्दू धर्म में क्या हैसियत है ???

1 - यह जो ब्राम्हण, क्षेत्रीय, वैश्य व शूद्र जो विभाजन है वह मेरा द्वारा ही रचा गया है।

- गीता 4-13

2 - मेरी शरण में आकर स्त्री ,वेश्य , शूद्र भी जिन कि उत्त्पति पाप योनि से हुइ है  परम  गति को प्राप्त हो जाते है। भगवत गीता 9-32

3 - शूद्र का प्रमुख कार्य तीनो वर्णो की सेवा करना है।
- महाभारत  4/50/6

4 - शूद्र को सन्चित धन से स्वामी कि रक्षा करनी चाहिये। -  महाभारत 12/60/36

5 - शूद्र तपस्या करे तो राज्य निर्धनता में डूब जायेगा।
- वाo .रामायण 7/30/74

6- ढोल .गवार .शूद् पशु नारी  |
सकल ताड़ना के अधिकारी ||
- रामचरित मानस 59/5

7- पूजिये विप्र सील गुन हीना, शूद्र न गुण गन ग्यान प्रविना।
-रामचरितमानस 63-1

8- वह शूद्र जो ब्राम्हण के चरणो का धोवन पीता है राजा उससे कर TAX न ले।
- आपस्तंबधर्म सूत्र 1/2/5/16

9 - जिस गाय का दूध अग्निहोत्र के काम आवे शूद्र उसे न छुये।  कथक सन्हिता 3/1/2

10- शूद्र केवल दूसरो का सेवक है इसके अतिरिक्त उसका कोइ अधिकार  नही है।
- एतरेय ब्राम्हण 2/29/4

11- यदि कोइ ब्राम्हण शूद्र को शिक्षा दे तो उस ब्राम्हण को चान्डाल की भाँति त्याग देना चाहिये।
- स्कंद पुरान  10/19

12 - यदि कोइ शूद्र वेद सुन ले तो पिघला हुआ शीशा, लाख उसके कान में डाल देना चाहिये।
यदि वह वेद का उच्चारण करे तो जीभ कटवा देना चाहिये। वेद स्मरण करे तो मरवा देना चाहिये।
गौतम धर्म शूत्र 12/6

13 - देव यज्ञ व श्राद्ध में शूद्र को बुलाने का दंड 100 पर्ण।
विष्णु स्मृति 5/115

14 - ब्राम्हण कान तक उठा कर प्रणाम करे, क्षत्रिय वक्षस्थल तक, वैश्य कमर तक व शूद्र हाथ जोड़कर एवं झुक कर प्रणाम करे।
आपस्तंब धर्म शूत्र 1,2,5,/16

15 - ब्राम्हण की उत्पत्ति देवता से, शूद्रो की उत्पत्ति, राक्षस से हुइ है।
तेत्रिय ब्राम्हण 1/2/6/7

17 - यदि शूद्र जप ,तप, होम करे तो राजा द्वारा दंडनिय है।
गौतम धर्म सूत्र  12/4/9

17- यज्ञ करते समय शूद्र से बात नहीं करना चाहिये।
शतपत ब्राम्हाण 3;1/10

18- जो शूद्र अपने प्राण, धन तथा अपनी स्त्री को, ब्राम्हण के लिए अर्पित कर दे ,उस शूद्र का भोजन ग्राहय है।
विष्णु पुराण 5/11

👉महाभारत"कहती है - शूद्र राजा नहीं बन सकता।

👉"गीता" कहती है - शूद्र को ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्यों की गुलामी करनी चाहिए ।

👉"रामायण" कहती है - शूद्र को ज्ञान प्राप्त करने पर मृत्युदंड मिलना चाहिए ।

👉"वेद" कहते है कि शूद्र ब्रह्मा के पैरोँ से पैदा हुआ है इसिलिये वो नीच है ।

👉"मनुस्मृति" के अनुसार - शूद्र का कमाया धन ब्राह्मण को बलात् छीन लेना चाहिए ।

👉"वेद" कहते है - शूद्र का स्थान ऊपर के तीनों वर्णों के चरणों में है।

👉"पुराण" कहते हैं - शूद्र केवल गुलामी के लिए जन्म लेते हैं ।

👉"रामचरित मानस" कहती है - शूद्र को पीटना धर्म है ।

फिर भी एक सहनशील "शूद्र" अब भी इन हिंसक धर्म ग्रंथो और इन देवी देवताओं को सीने से लगाए फिरता है ।
जो कि घोर मूर्खता के अलावा कुछ नही -

-   दिखावे पे मत जाओ- अपनी अकल लगाओ     -

#जय_भीम
#जय_संविधान

96 टिप्‍पणियां:

  1. देश को गुमराह और बेवक़ूफ़ बनाया है अगर अब भी देशवासी इनके छलाओं को नही समझे तो फिर इनका दोष नही है इस देश की जनता इसी काबिल हैं।

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    1. Sale bharwe ye sabhi braman pta nahi kis jati ki olad h .namerd ye to khud apni bahu betiyo Ko bech dete the mugalo aur agrejo ke hath . To phir ye kaise hui mahan .ham suder hi Sahi Lekin apni bahu betiyo Ko nahi bechate kisi ke hathon hamara nasal sudh h . Ham inake tarah gire hue nicher nahi h.ager itana hi Tallent h to ab apna Tallent kyu nahi dikhate .kha gayi sari hekari Nikal gai salo ki . Lalu ne inlogo ki asali aukat dikha di .ye log isliye Lalu Ko gali dete h .kyuki Lalu ne Inaki gulami nahi suikar ki . Ye harami ke Peele namerd hamara avrsho se haq martey aaye h aur Abhi bhi Mariana chahte h .revelation khatam kerke ye phir se sata hathiyana chahtey h.

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    2. Vailmiki ne likha he kisi Brahman ne nahi likha pucho unse kyu likha

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    3. Are bhai isne galat slok likha hai jhuth to yeh bol raha hai

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    4. जन्मना ब्राह्मणो ज्ञेयः संस्कारै द्विज उच्यते।
      विद्यया याति विप्रः श्रोतिरस्त्रिभिरेवच।।
      अर्थ_आध्यात्मिक दृष्टि से यज्ञोपवीत के बिना जन्म से ब्राह्मण भी शुद्र के समान ही होता है।

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    5. जन्मना ब्राह्मणो ज्ञेयः संस्कारै द्विज उच्यते।
      विद्यया याति विप्रः श्रोतिरस्त्रिभिरेवच।।
      अर्थ_आध्यात्मिक दृष्टि से यज्ञोपवीत के बिना जन्म से ब्राह्मण भी शुद्र के समान ही होता है।

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    6. If this post is wrong then why this post stop by Google or government.

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    7. छांदोग्य उपनिषद के अनुसार 👇
      जिनका बर्ताव यहा रमणीय रहा है वह जल्दी उत्तम जन्म को प्राप्त होंगे. ब्राह्मण के जन्म को,वा क्षत्रिय के जन्म को वा वैश्य के जन्म को.
      पर वह जो यहा निच बर्ताव वाले रहे है वो जल्दी निच योनी मे प्राप्त होंगे.
      कुत्ते कि योनीको वा सुअर कि योनीको वा चांडाल कि योनीको.
      (छांदोग्य उपनिषद 5-10-7, पंडित राजाराम,पृष्ठ 193)
      ///////////////////////////////////
      छांदोग्य उपनिषद का उपर का श्लोक आर्य समाज के तथाकथित कर्म आधारीत वर्ण व्यवस्था को पुरी तरह से ध्वस्त कर रहा है.
      कोई शुद्र, कर्म के आधार पर ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य कैसे बन सकता है ? वो तो पिछले जन्म के कर्म का फल भोगने के लिए चांडाल योनी को प्राप्त हुआ है.अधिक जनकारी नीचे लिंक पर है

      https://islamicandvedpuraninfo.wordpress.com/2018/12/08/%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A3-%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE-%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AE-%E0%A4%B8%E0%A5%87/

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    8. लिंक भी तो दिया है खुद चेक करो

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  2. उत्तर
    1. कितने दुख की बात है भाई की आपने श्लोक का अर्थ समझे बिना ही धर्म ग्रन्थों को दोषी मान लिया

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    2. Kirpya sachchai bataiye in baato ki ye jo likha hai iska arth kyA hai?

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  3. उत्तर
    1. भाई लोगो जय भीम ठीक है समझ आता है लेकिन आपको गलत समझाया गया है वेदों के बारे में।।।वेद में किसी भी प्रकार का गलत ज्ञान नही है बस आपको सच समझना चाहिए।।।

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    2. क्या आपके पास 50 हज़ार लाख साल पुराने पूर्ण शुद्ध वेद हैं? या मिलावटी ढो रहे हैं? आप के पास 1 बाल्टी दूध हो, 1 बूंद पेशाब की गिर जाए आप वो दूध नहीं पी सकते, जबके 50 हज़ार वर्षों में लाखों अशुद्धियों का समावेश आज वेदों में हो गए उसे आप कहते हो के हम भी ढोएं? अब बन्द कीजिए झूठ की पूजा।

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    3. Ise brahman likh pad sakte hain to isme badlaw Sirf wo hi kar sakte hain

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    4. सुद्रो को हमेशा आगे बढ़ने से रोका गया है

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  4. उत्तर
    1. भाई लोग पढ़ो लिखो और इन संस्कृत के श्लोकों के सही अर्थ निकालो जीवन सार्थक होगा

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    2. जिन्होंने वेदों का अनुवाद किया और अर्थ निकाले वो व्यर्थ है क्या फिर

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    3. मित्रो ,वेदों का अर्थ समझना आसान नहीं है,द्विअर्थी होने के कारण,अलग अलग अर्थ निकलता है,हमारे पास प्रमाणिक वेद पुराण ,रामायण,गीता,स्मृति नहीं है,आज सभी मिलावटी है,क्योंकि अलग अलग कालों में वेदों का भाष्य किया गया,वेदों के अर्थ रहस्य को समझने के लिए शिक्षा, कल्प, निरूक्त, छंद ज्योतिष,व्याकरण, सूत्र का सहारा लेकर ही समझा जा सकता है,सबसे पहले वेदों का भाष्य रावण ने किया,उसके बाद भी बहुत से कालों में इसका भाष्य हुआ,बौद्ध काल में सायानन
      महिधर,वामाचारी पंथ के अनुयाई ने वेदों में भाष्य करते समय, पशु बलि, नर बलि मांस,मैथुन,मदिरा,मीन,मत्सर पांच मकारों के चलते वैदिक धर्म धूमिल हो गई।।वेदों में हिंसा निर्दोष पशुओं की बलि
      यज्ञो में दिया जाने लगा जिसका विरोध भगवान बुद्ध और भगवान महावीर ने किया ।पूर्व वैदिक काल में प्रकृति पूजा की जाती थी,वनौषधि से आहुति दी जाती थी।वेदों के अर्थ को न समझने के कारण
      बहुत बड़ा अनर्थ हुआ कुछ स्वार्थी लोगों ने इसे ईश्वरीय आदेश समझकर जाति वाद,ऊंच नीच,अपने वर्चस्व के लिए गलत इस्तेमाल किया,वर्ण व्यवस्था विकृत हो गई,कर्म के आधार पर न होकर जाति के आधार पर होगया,ये तो बात ऐसे हुई ज्ञान का सूरज उगा हम अंधेरे में भटक गए।चंदन के सुगंधित जंगल को काटकर कोयले बना डाला।आज,आज हमारे लिए धर्म सिर्फ सियासत बन गया,ब्राह्मण,बौद्ध,दलित,सब एक दूसरे के खून के प्यासे है,दलित कहता है, आर्यो मनुवादियों ने हमे गुलाम बनाया ,राम हमारे दुश्मन,हम लड़ रहे है,किसी को पता नहीं कौन कहा जा रहा है,हमारी आपस की लड़ाई में विदेशी आग में घी डाल रहे है,देश की युवा पीढ़ी गुमराह होते जा रहे है,इन्हे करोड़ो,गौतम बुद्ध और,भगवान महावीर भी रोक नहीं पाएंगे।
      इंसान बनो मेरे यारो ।अपनी ,शिक्षा,काबिलियत, पर भरोसा रखो।

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    4. अर्थ निकते नहीं अर्थ होते है ये बेवकूफ बनने और लीपापोती करने से कुछ नहीं जो ब्राह्मण है बो कुकर्मी है इनको देखने भर से सभी मानव जाति को घृणा करनी चाहिए

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  5. हिन्दु धर्म से हमें क्या मिला और मनुस्मृति क्यों जलाई गई जागो दलितों जागो अपना इतिहास पढ़ो समझो

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  6. जो ब्राह्मण हम मूलनिवासी बौद्धोंं के पैरों की धोवन पीते हों उन्हें देश में रहने दिया जाए

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  7. वराहमल से देश का मल साफ करवाऐं, छतरी से मजदूरी करवाएं, और वैश्यों से इनके वर्णानुक्रम अनुसार वैश्यावृत्ति करवाएं

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    1. अबे अक्ल के दुश्मन हरामि वैश्य मतलब बनिया होता है,, वैश्ष्या नहीं

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  8. ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्यों को हम मूलनिवासी बौद्धों को देखते ही जमीन पर लेट कर प्रणाम करना चाहिए। जो ऐसा ना करें उन्हें देश से निकाल देना चाहिए और देशद्रोही करार देना चाहिए

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  9. आप गलत हैं। गीता ऐसा नहीं कहती, न ही वेद कहते हैं। दरअसल, वेद ने ब्रह्मा शब्द का इस्तेमाल कभी नहीं किया। कृपया गलत सूचना नहीं फैलाएं| जन्मना जायते शूद्रः संस्कारात् भवेत् द्विजः | वेद-पाठात् भवेत् विप्रः ब्रह्म जानातीति ब्राह्मणः | जन्म से प्रत्येक मनुष्य शुद्र, संस्कार से द्विज, वेद के पठान-पाठन से विप्र (विद्वान्)और. जो ब्रह्म को जनता है वो ब्राह्मण कहलाता है |द्विज शब्द 'द्वि' और 'ज' से बना है। द्वि का अर्थ होता है दो और ज (जायते) का अर्थ होता है जन्म होना अर्थात् जिसका दो बार जन्म हो उसे द्विज कहते हैं। द्विज शब्द का प्रयोग हर उस मानव के लिये किया जाता है जो एक बार पशु के रुपमे माता के गर्भ से जन्म लेते है और फिर बड़ा होने के वाद अच्छी संस्कार से मानव कल्याण हेतु कार्य करने का संकल्प लेता है।विप्र शब्द का उद्गम संस्कृत की वपु धातु से निर्मित है जिसका अर्थ बोने वाला होता है इसी क्रम में बाप (पिता के अर्थ में प्रयुक्त) भी इसी धातु से बना है|श्रीमद देवी भगवद पुराण - कलयुग के ब्राह्मण प्राचीन युगों के राक्षसों के समान
    श्रीमद देवी भगवद पुराण, पृष्ठ 414, स्कन्द 6, गीता प्रैस गोरखपुर

    राजन! उन प्राचीन युगों में जो राक्षस समझे जाते थे, वे कलि में ब्राह्मण माने जाते हैं, क्योंकि अब के ब्राह्मण प्राय: पाखंड करने में तत्पर रहते हैं। दूसरों को ठगना, झूठ बोलना और वैदिक धर्म-कर्मों से अलग रहना --- कलियुगी ब्राह्मणों का स्वाभाविक गुण बन गया है।
    नासदीय सूक्त ऋग्वेद के 10 वें मंडल कर 129 वां सूक्त है। इसका सम्बन्ध ब्रह्माण्ड विज्ञान और ब्रह्मांड की उत्पत्ति के साथ है। माना जाता है की यह सूक्त ब्रह्माण्ड के निर्माण के बारे में काफी सटीक तथ्य बताता है। इसी कारण दुनिया में काफी प्रसिद्ध हुआ है।
    Whence all creation had its origin,
    he, whether he fashioned it or whether he did not,
    he, who surveys it all from highest heaven,
    he knows - or maybe even he does not know.
    So In Real sense , Nobody can Brahman.

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    उत्तर
    1. आज, कोई भी कहीं से वेदों पुरानो पर उंगली उठा देता है की दलित सवर्ण या जात पात वेदों की देन है मनुस्मृति की देन है| कुछ लोगों का मत है की इसकी शुरुआत मुग़लों के आने से हुई थी| लेकिन मेरे अब तक के अध्ययन और खोज से यही पता चला है की- जात पात की शुरुआत द्वापर युग के मध्य से शुरु हुई थी| और वो भी वेदों के करण नहीं,
      आपसी रंजिश और एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए|

      वेदों के बारे में फैलाई गई भ्रांतियों में से एक यह भी है कि वे ब्राह्मणवादी ग्रंथ हैं और शूद्रों के साथ अन्याय करते हैं | हिन्दू/सनातन/वैदिक धर्म का मुखौटा बने जातिवाद की जड़ भी वेदों में बताई जा रही है और इन्हीं विषैले विचारों पर दलित आन्दोलन इस देश में चलाया जा रहा है |

      परंतु, इस से बड़ा असत्य और कोई नहीं है | इस में हम इस मिथ्या मान्यता को खंडित करते हुए, वेद तथा संबंधित अन्य ग्रंथों से स्थापित करेंगे कि –
      १.चारों वर्णों का और विशेषतया शूद्र का वह अर्थ है ही नहीं, जो मैकाले के मानसपुत्र दुष्प्रचारित करते रहते हैं |
      २.वैदिक जीवन पद्धति सब मानवों को समान अवसर प्रदान करती है तथा जन्म- आधारित भेदभाव की कोई गुंजाइश नहीं रखती |
      ३.वेद ही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जो सर्वोच्च गुणवत्ता स्थापित करने के साथ ही सभी के लिए समान अवसरों की बात कहता हो | जिसके बारे में आज के मानवतावादी तो सोच भी नहीं सकते
      आइए, सबसे पहले कुछ उपासना मंत्रों से जानें कि वेद शूद्र के बारे में क्या कहते हैं –

      यजुर्वेद १८ | ४८
      हे भगवन! हमारे ब्राह्मणों में, क्षत्रियों में, वैश्यों में तथा शूद्रों में ज्ञान की ज्योति दीजिये | मुझे भी वही ज्योति प्रदान कीजिये ताकि मैं सत्य के दर्शन कर सकूं |

      यजुर्वेद २० | १७
      जो अपराध हमने गाँव, जंगल या सभा में किए हों, जो अपराध हमने इन्द्रियों में किए हों, जो अपराध हमने शूद्रों में और वैश्यों में किए हों और जो अपराध हमने धर्म में किए हों, कृपया उसे क्षमा कीजिये और हमें अपराध की प्रवृत्ति से छुडाइए |

      यजुर्वेद २६ | २
      हे मनुष्यों ! जैसे मैं ईश्वर इस वेद ज्ञान को पक्षपात के बिना मनुष्यमात्र के लिए उपदेश करता हूं, इसी प्रकार आप सब भी इस ज्ञान को ब्राह्मण, क्षत्रिय, शूद्र,वैश्य, स्त्रियों के लिए तथा जो अत्यन्त पतित हैं उनके भी कल्याण के लिये दो | विद्वान और धनिक मेरा त्याग न करें |
      अथर्ववेद १९ | ३२ | ८
      हे ईश्वर ! मुझे ब्राह्मण, क्षत्रिय, शूद्र और वैश्य सभी का प्रिय बनाइए | मैं सभी से प्रसंशित होऊं
      अथर्ववेद १९ | ६२ | १
      सभी श्रेष्ट मनुष्य मुझे पसंद करें | मुझे विद्वान, ब्राह्मणों, क्षत्रियों, शूद्रों, वैश्यों और जो भी मुझे देखे उसका प्रियपात्र बनाओ |
      इन वैदिक प्रार्थनाओं से विदित होता है कि –
      -वेद में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र चारों वर्ण समान माने गए हैं |
      -सब के लिए समान प्रार्थना है तथा सबको बराबर सम्मान दिया गया है |
      -और सभी अपराधों से छूटने के लिए की गई प्रार्थनाओं में शूद्र के साथ किए गए अपराध भी शामिल हैं |
      -वेद के ज्ञान का प्रकाश समभाव रूप से सभी को देने का उपदेश है |
      -यहां ध्यान देने योग्य है कि इन मंत्रों में शूद्र शब्द वैश्य से पहले आया है,अतः स्पष्ट है कि न तो शूद्रों का स्थान अंतिम है और ना ही उन्हें कम महत्त्व दिया गया है |
      इस से सिद्ध होता है कि वेदों में शूद्रों का स्थान अन्य वर्णों की ही भांति आदरणीय है और उन्हें उच्च सम्मान प्राप्त है |
      यह कहना कि वेदों में शूद्र का अर्थ कोई ऐसी जाति या समुदाय है जिससे भेदभाव बरता जाए – पूर्णतया निराधार है |

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    2. I want to know for knowledge
      Shoodra ka matlab obc caste se hota hai
      Tell me.

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    3. शूद्रों का ज्ञान इससे ज्यादा नहीं होता, अर्थात ये शुद्र ज्ञान केवल शुद्र ही अपना सकता है।

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    4. संस्कार विहीन मनुष्य शुद्र होता है।

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    5. Shudra koi nich nahi. Shudra to ek karm ka name hai. Iss vishva ko chalane ke liye Brahman, kshtriy, vashya, shudra jaise karm vale vyakti ka hona jaruri hai

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  10. मनुस्मृति : धर्मशास्त्र, ऐतिहासिक बहस, ब्रिटिश औपनिवेशिक कानून??
    जाति प्रणाली और इसकी वास्तविकता part 2 (https://www.youtube.com/watch?v=-fXY8_722Wg)

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  11. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  12. Ambedkar viewed the Shudras as Aryan and adamantly rejected the Aryan invasion theory, describing it as "so absurd that it ought to have been dead long ago" in his 1946 book Who Were the Shudras?.

    Ambedkar viewed Shudras as originally being "part of the Kshatriya Varna in the Indo-Aryan society", but became socially degraded after they inflicted many tyrannies on Brahmins.

    According to Arvind Sharma, Ambedkar noticed certain flaws in the Aryan invasion theory that were later acknowledged by western scholarship. For example, scholars now acknowledge anās in Rig Veda 5.29.10 refers to speech rather than the shape of the nose. Ambedkar anticipated this modern view.

    Ambedkar disputed various hypotheses of the Aryan homeland being outside India, and concluded the Aryan homeland was India itself. According to Ambedkar, the Rig Veda says Aryans, Dāsa and Dasyus were competing religious groups, not different peoples.

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  13. Universal truth defender ..... Kabi to un logonka vichar Karo jo insan ye but janvar ki bhati behave kiya jata ... Unke sath

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  14. मेरे भाइयों वेद में ऐसा कुछ गलत नही लिखा है आप लोगो को गलत समझाया गया है आप असली वेदों को पड़े और समझे।।।उसमे हर प्रकार का ज्ञान है रियल वेदों में किसी भी प्रकार का गलत ज्ञान नही है बस आपको गलत समझाया गया है।।।

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    1. आपके पास है रियल वेद जिससे आप गर्व से कह सकते हो है मेरे पास जो वेद है उसमें मिलावट नही है अगर है तो उसकी पीडीएफ लिंक जरूर दे

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  15. ऐसा धर्म किस काम का जो इंसानों को भी बाट दे, कहतें है सबसे पुराना धर्म सनातन धर्म था ,आज समझ आया कि और धर्म कैसे बनें, जरूर आज जिसको sc,st aur obc,कह कर इनको गालियाँ दिया जा रहा है ,ऐसा उन धर्मों के लोग के साथ भी हुआ होगा इस लिए,उन्होंने अपना धर्म अपना भगवान बदल लिया,मुझे दुख है कि आज जो खुद को ब्राह्मण और राजपूत कह कर छोटे जातियों को गालियाँ देते है और अत्याचार करते है वो एक दिन इस दुनिया से शिव का नाम मिटा देंगे।और अगर ऐसा ही चलते रहा तो मैं यक़ीन के साथ बोलता हूँ हिनफू धर्म में बस खुद को ब्राह्मण और राजपूत ही कहने वाले बचेंगे।

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  16. अंबेडकरवादी बनो हिन्दू धर्म चोडो बुध्द धम्म अपनाओ जिस धर्म मे इन्सान को नीच बताया जाये वो धर्म नही धन्धा है व्यापार है धर्म नही हो सकता इन्सानियत कहती है सब इन्सान एक है एक जैसा है सब बराबर है सम्मानता का हक अंबेडकर वाद मे है जिसने सबको बराबर का हक दिया इसलिए संविधान की ओर चल पड़े जय भीम जय बुध्द धम्म

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  17. मैं OBC हूं और जैसा आप लोग को बताया जा रहा है वैसा इन वेदों में कुछ भी नहीं लिखा है शूद्र के बारे में

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    1. Manusmriti lekar aao aur pado... Sab ptaa chal jayenga ki kya kyq likha h.. Me also obc..

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    2. 🤭😂😂😂😂😂😂 एक बार पढ़ के तो देखो।

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    3. किसी उच्च वर्ग यानी ब्राह्ममण या वैश्य के घर शादी का रिश्ता लेकर जाओ पता चल जावेगा
      ब्राह्मण और वैश्य से कहो एक थाली में खाते है

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    4. अच्छे से पढ के दिखाइए भाईसाब

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  18. मानव मानव में भेद भाव नीच छुआछूत मेहनत करने वाला नीच तथा भोले भाले लोगों को बेवकूफ बना कर खाने ऊच हैं।

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    उत्तर
    1. इसी से इनका भरण पोषण होता आया है। पहले भीख मांग कर, उसके बाद दबाव बनाकर और अब जैसे मौका देखा वैसे ही काम चला रहे हैं।

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  19. पढे लिखे मनुवादी बहुजनो से इस देश को खतरा बहुत है ।

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  20. मनुस्मृति में ही लिखा है...

    जन्मना जायते शूद्रः
    संस्कारात् भवेत् द्विजः |
    वेद-पाठात् भवेत् विप्रः
    ब्रह्म जानातीति ब्राह्मणः |
    जन्म से हर मनुष्य शुद्र, अगर संस्कार प्राप्त कर ले द्विज (ब्रह्मण), वेद के पाठन व उच्च कर्म से विप्र और

    जो ब्रह्म को जनता है वो ब्राह्मण कहलाता है |

    वर्ण व्यवस्था कर्म प्रधान थी, कृपया अच्छे कर्म करे व ज्ञानी बन लोगो की सेवा करें, यही प्रभु के प्रति सच्ची श्रद्धा है, एवं जीवन का आधार यही है...
    जय श्री कृष्णा....🙏🏻

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    1. ਜੇ ਵਰਣ ਵਿਵਸਥਾ ਕਰਮ (ਕਂਮ)ਅਧਾਰਤ ਹੈ ਤਾਂ ਬਰਾਮਣ ਦਾ ਪੁਤਰ ਬਰਾਮਣ ਕਿਵੇ ਹੋ ਗਿਆ??

      हटाएं
  21. Bed puraan ke padne se milta Kya hai jo log sine se lagaye fhirte hai

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  22. ऐसा कुछ नही है सब बराबर हैं भागवत गीता का सही उल्लेख जानबूझकर नहीं किया गया कुछ ब्राह्मणों के चलते इसलिए क्योंकि वे अपने आप को श्रेष्ठ साबित करना चाहते थे बल्कि भगवान बेसब्री बराबर है संस्कृत का जो शब्द है उसको तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है।
    यह वेबसाइट भी उसी ब्राह्मणों की तरह जातिवाद फैला रही है

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  23. धन्यवाद
    हमें इस प्रकार की जानकारी देने के लिए।
    ये बहुत सटीक मजबूत और का सब्दो में बहू बड़ा ज्ञान है

    ये कुछ पंक्तियां धुड़ने बाले को मेरा सात सत नमन।

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  24. Pahale pado vedo ko shreemad bhagvat geeta ko kyoki ye sab bhrambh faila rahe h jese mata pita apane bachcho me fark nahi karate to fir jisane ye duniya banai h vo kyo fark karega

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  25. मै chmar हूँ पर मै शाबित कर सकती हूँ कि ये पोस्ट 100% झूठ हैं मैने भी पढ़ा हैं जो ये पोस्ट करने वाला मुर्ख अनपढ़ बिना कुछ पढ़े लोगो को गलत जानकारी दे रहा हैं या तो खुद पढ़ ले या फिर मुझसे पढ़ ले मै खुद संस्कृत की अध्यापिका हूँ गवार कही का

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    1. You not teacher,you have no respect for humanity
      Your language proves you are not more than fanatic and are being burn in the fire of fake religion.
      If were teacher then you must have given your opinion about the above reffered shalok.
      O illeterate teacher see and explain the all of the shalok reffered above.

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  26. मै chmar हूँ पर मै शाबित कर सकती हूँ कि ये पोस्ट 100% झूठ हैं मैने भी पढ़ा हैं जो ये पोस्ट करने वाला मुर्ख अनपढ़ बिना कुछ पढ़े लोगो को गलत जानकारी दे रहा हैं या तो खुद पढ़ ले या फिर मुझसे पढ़ ले मै खुद संस्कृत की अध्यापिका हूँ गवार कही का
    जय भीम जय भारत

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  27. सभ झूठ लिखा है। गीता में ऐसा कुश नही। यह बस मूर्खों द्वारा सम्पादित किया गया है।

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  28. मैं वर्तमान कानून के आधार से पिछड़ी जाति का हूँ। शुद्र को जन्म से जोड़ना गलत है। श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार जो सेवा करे और सेवा के बदले पारिश्रमिक ले वो शुद्र है। अर्थात शूद्र का प्रचलित नाम सेवक है। इस मत से सांसद, विधायक, मंदिर का पुजारी, शासकीय सेवक सभी शूद्र हैं।
    वर्ण व्यवस्था जन्मजात नही कर्म से है। पुराणों में अनेक उदाहरण हैं जिसमें ब्राह्मण शूद्र और कई शूद्र कर्म करने वालों को ब्राह्मण का दर्जा दिया गया है।
    मध्ययुग में हमारे देश की संस्कृति में विकृति आई जो वर्ण व्यवस्था को जाति के आधार पर जन्मजात कर दिया और बाद में शूद्रों को अश्पृश्य भी कहने लगे। विकृत संस्कृति को आधार मान कर सनातन परंपरा को गलत बोलना उचित नहीं होगा।

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  29. वामपंथी इतिहासकारों ने ं हिंदूओं में फुट डालने के लिए इतिहास को तोड़ कर परस्तूत किया अगर शुद्र कुछ नहीं बन सकता था तो चिनी यात्री फाह्यान जो कि अपने किताब सी यु की में लिखा है कि उस समय सिंध का राजा शुद्र था क्या ये गलत है?

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    1. भाई साहब शुद्र को आप लोग हिन्दू मानते हैं तो उनके साथ बेटी रोटी का रिश्ता क्यों नहीं करते हैं अगर औकात हैतो ईसका ज़बाब दो।
      जयभीम नमो बुध्दाय

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    2. यही से पता चलता है मित्र की ये लीपा पोती कर रहे है लेकिन अब SC ST OBC समाज शिक्षा पा रहा है और पढ़ रहा है इनकी पोल खुल रही है

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  30. सुरवाती दौर से अब तक छोटी कष्ट को नीचा साबित किया गया है। जैसे बाबा साहब ने अपने दम पर मिलकर लड़ा है आज तो हम लोग २०./. तो होवि गए है हमें अपने हक के लिए लड़ना चाहिए ।।जय भीम

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    1. भाई साहब आपसे बात करनी है।
      9897226992
      काॅल करना

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  31. Mc jhuth kyu bol raha be main bhi sc hu or sanskrit pata h Tu sala bhim army ya mullo ki paidaish

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  32. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  33. Prakrati hi ishwar hai vigyan hi satya inshaniyat hi dharm hai aur karm hi pooja hai manawata hi sreshth hai evam manav ki maddat hi sarwapry sewa hai jai bheem

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  34. ये बता तूने कितना प्राप्त किया है।
    ये गलत पोस्ट की है तूने
    9897226992

    ये रहा मेरा नम्बर
    काॅल या व्हाटसएप पर बात करना।

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  35. Madarchod fuck you, you and your content spreading hate amongst Hindus. I personally read sloke number 32 , chapter9 of Gita papyoni is not adjective it's a term which has been used for everyone. Do you understand Madarchod

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  36. इसमें जो कुछ भी लिखा है एक एक शब्द झूठ लिखा किस बेवकूफ ने लिखा है जो लोगों को भ्रमित कर रहा है

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  37. रामायण महाभारत भगवत गीता में ऐसा कुछ नहीं लिखा है

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  38. अगर एसा है
    तो महाभारत रामायण में शबरी,मातंग,विदुर,संजय,सत्यवती, गुह,हिरण्यधानु,कर्ण का कोई जिक्र नहीं मिलता

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  39. यदि कोइ शूद्र वेद सुन ले तो पिघला हुआ शीशा, लाख उसके कान में डाल देना चाहिये।
    यदि वह वेद का उच्चारण करे तो जीभ कटवा देना चाहिये। वेद स्मरण करे तो मरवा देना चाहिये।
    गौतम धर्म शूत्र 12/6

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  40. Brahmans and their behaviour can be wrong, but none of our scriptures propogate any misbehaving with anyone. There are a lot of external mixups in some scriptures which need to be recognised. Don't blame scriptures for any behaviour of any cast.

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