हिंदू त्योहार... SC ST OBC NT को गरीब बनाने का धंदा
जी हा सही पढा आपने हिंदू धर्म के सभी त्योहार SC ST OBC NT को और ज्यादा गरीब बनाने के लिये ही होते है | अगर हम बाकी धर्मो से इसकी तुलना करते है तो बाकी धर्मो मे हर साल एक या दो ही त्योहार होते है जबकी हिंदू धर्म जानेवारी से जो त्योहार चालू हुवे वो डिसेंबर तक चालू ही रहते है |
मकर संक्रांती, महाशिवरात्री, धुलीवंदन, होली, गुडीपाड़वा, रामनवमी, हनुमान जयंती, तीज अक्षय त्रुतिया, गुरूपोर्नीमा, नागपंचमी, रक्षाबंधन, क्रुश्नाष्टमी, गणेश चतुर्थी, दुर्गाष्टमी, दसरा, कोजागिरी, धनत्रयोदशी, दिवाली, लक्ष्मी पुजन और न जाने क्या क्या |
अब जरा ध्यान से सोचिये इतने सारे उत्सव मनाने मे आपका कितना पैसा बर्बाद होता होगा ? कुछ अंदाजा है आपको ? मैं तो कभी कभी सोच के ही हैरान हो जाता हू इतना गरिब देश होने के बावजुद भी इनके पास त्योहार मनाने के लिये पैसा कहा से आता है ???
मैने बहुतो को देखा है जीनके घर मे खाने के भी पैसे नही वो भी त्योहार मनाने के लिये किसीसे उधार मांग के पैसे लाते है और उत्सव मनाते है |
ना ना ना मेरा आपके इन उत्सवो को विरोध नही है मुझे बस इतना कहना है की आप पहले से इतने गरिब हो आपके पास पैसा नही है ना खुद के लिये कपडे खरिद सकते हो ना बच्चो को पढा सकते हो फ़िर बार बार इन त्योहारो पे इतना पैसा क्यों बर्बाद करते हो ? ठिक है यार मान लेते है त्योहार बार बार नही आते पर तुम्हारे त्योहार तो हर महीने आता है ना फ़िर सारे के सारे त्योहार मनाके खुद को ही क्यों कंगाल कर रहे हो | इतने अमीर बन गये हो क्या तुम की जो मर्जी चाहे खरिद सको, बच्चो की पढाई और दो वक्त की रोटी आराम से खा सको ?
अगर तुम 20-30 त्योहार मे से 2-3 ही त्योहार मनाये तो तुम्हारा बहुत सा मेहनत करके कमाया पैसा बच सकता है | भाई फ़िलहाल तो तुम्हारी कहानी बिलकुल आमदनी अठन्नी खर्चा रुपय्या जैसी है | याने तुम दिन रात मेहनत करते हो और अगले ही पल खर्च कर देते हो | तुम्हारे पास कुछ भी नही बचता |
क्या कभी सोचा है सिर्फ तुम्हारे ही धर्म मे इतने त्योहार क्यों है ? नही बिल्कुल भी नही सोचा होगा | अगर सोचते तो समझ पाते ये सभी उत्सव तुम्हे लूटने के लिये ही बनाये गये है | देख लो ना तुम गधो की तरहा मेहनत करते हो और त्योहार के नाम पे सारा पैसा व्यापारियो को सौंप देते हो | तुम्हारे पास क्या बचता है ?
सैलरी मिली तो 15 दिन भी नही टिकती फ़िर उधारी पे काम चलाना पड़ता है | लोगों पीठ पीछे कुछ भी बोलते रहते है | तुम्हारे स्वाभिमान को ठेंस पहुंचती है | उपर से बीमारी मे बहुत पैसा जाता है पर फ़िर भी तुम कहते हो नही त्योहार है मनाना तो पडेगा ही | अरे भाई मनाओ पर अपनी हालत देख के मनाओ | यहा 30% लोग ऐसे है जो एक वक्त की रोटी भी नही खा सकते, 80% मध्यम वर्ग के लोग ऐसे है जो घर की जरूरते पुरी नही कर पाते, सिर्फ 10% लोग ही ऐसे है जो कितना भी खर्चा कर सकते है हर रोज उत्सव मना सकते है | ईसलिये नही की ये अमीर है बल्की ईसलिये की आपका सारा पैसा इनके पास ही जाता है |
मेरे भाइयों पहले अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करो उसके बाद चाहे जितने त्योहार मनाओ | हम हमेशा कहते है अमीर और अमीर बन रहा है और गरिब और ज्यादा गरिब होते जा रहा है ये तो सभी कहते है पर इसका कारण कोई नही समझता अरे बाबा आप कुछ बचायेंगे ही नही तो आप अमीर कैसे होंगे | आप तो अपना सारा पैसा इन त्योहारों मे ही खर्च कर देते हो फ़िर ठन ठन गोपाल बनके रोते रहते हो | उपर से पूजा पाठ, सत्यनारायण, ग्रुहशांती करते ही रहते हो तो बताओ तुम्हारे पास पैसा कैसे आयेगा ? तुम लोग खुद अमीरों को और अमीर बना रहे हो और खुद हि खुद को गरीब |
इसी तरहा मुस्लिम भी चाहे कितने भी गरिब क्यों ना हो कर्जा लेकर, जमीन बेंच कर, लोन लेकर और न जाने क्या क्या करके मक्का मदिना हज को जाते है | अपनी जिन्दगीभर की कमाई 3-4 दिन मे ही खतम कर देते हो | याने तुम्हारी गरिबी का कारण तुम खुद हो | और कितनी पिढीयों को गरिबी मे जीना सिखाओगे | मैने देखा है तुम्हारी हालत को कैसे रहते हो क्या खाते हो तो पहले अपना घर संभालो उसके बाद चले जाना हज को | वैसे भी कौनसे अल्लाह वहा तुम्हारी राह देख रहे है उसके बजाय अपने घर की तरफ़ ध्यान दो, घरवालों की स्थिति बदलो अल्लाह अपने आप खुश हो जायेगा |
मैं जानता हु तुम हज को क्यों जाते हो पर ये गलत है क्यों की खुद अल्लाह ने कहा है अपने घर के 40 घर तक कोई भूखा ना रहे और तुम तो हज के लिये इतना खर्च करते हो की घर मे ही खाने के लाले पड जाते है | धर्म को मानो पर अपनी हैसियत देख कर ही खर्चा करो | जब बचत ज्यादा होगी तो त्योहार उससे भी अच्छे से मना पाओगे | जागो.... अपने परिवार को मजबूत करो |
मकर संक्रांती, महाशिवरात्री, धुलीवंदन, होली, गुडीपाड़वा, रामनवमी, हनुमान जयंती, तीज अक्षय त्रुतिया, गुरूपोर्नीमा, नागपंचमी, रक्षाबंधन, क्रुश्नाष्टमी, गणेश चतुर्थी, दुर्गाष्टमी, दसरा, कोजागिरी, धनत्रयोदशी, दिवाली, लक्ष्मी पुजन और न जाने क्या क्या |
अब जरा ध्यान से सोचिये इतने सारे उत्सव मनाने मे आपका कितना पैसा बर्बाद होता होगा ? कुछ अंदाजा है आपको ? मैं तो कभी कभी सोच के ही हैरान हो जाता हू इतना गरिब देश होने के बावजुद भी इनके पास त्योहार मनाने के लिये पैसा कहा से आता है ???
मैने बहुतो को देखा है जीनके घर मे खाने के भी पैसे नही वो भी त्योहार मनाने के लिये किसीसे उधार मांग के पैसे लाते है और उत्सव मनाते है |
ना ना ना मेरा आपके इन उत्सवो को विरोध नही है मुझे बस इतना कहना है की आप पहले से इतने गरिब हो आपके पास पैसा नही है ना खुद के लिये कपडे खरिद सकते हो ना बच्चो को पढा सकते हो फ़िर बार बार इन त्योहारो पे इतना पैसा क्यों बर्बाद करते हो ? ठिक है यार मान लेते है त्योहार बार बार नही आते पर तुम्हारे त्योहार तो हर महीने आता है ना फ़िर सारे के सारे त्योहार मनाके खुद को ही क्यों कंगाल कर रहे हो | इतने अमीर बन गये हो क्या तुम की जो मर्जी चाहे खरिद सको, बच्चो की पढाई और दो वक्त की रोटी आराम से खा सको ?
अगर तुम 20-30 त्योहार मे से 2-3 ही त्योहार मनाये तो तुम्हारा बहुत सा मेहनत करके कमाया पैसा बच सकता है | भाई फ़िलहाल तो तुम्हारी कहानी बिलकुल आमदनी अठन्नी खर्चा रुपय्या जैसी है | याने तुम दिन रात मेहनत करते हो और अगले ही पल खर्च कर देते हो | तुम्हारे पास कुछ भी नही बचता |
क्या कभी सोचा है सिर्फ तुम्हारे ही धर्म मे इतने त्योहार क्यों है ? नही बिल्कुल भी नही सोचा होगा | अगर सोचते तो समझ पाते ये सभी उत्सव तुम्हे लूटने के लिये ही बनाये गये है | देख लो ना तुम गधो की तरहा मेहनत करते हो और त्योहार के नाम पे सारा पैसा व्यापारियो को सौंप देते हो | तुम्हारे पास क्या बचता है ?
सैलरी मिली तो 15 दिन भी नही टिकती फ़िर उधारी पे काम चलाना पड़ता है | लोगों पीठ पीछे कुछ भी बोलते रहते है | तुम्हारे स्वाभिमान को ठेंस पहुंचती है | उपर से बीमारी मे बहुत पैसा जाता है पर फ़िर भी तुम कहते हो नही त्योहार है मनाना तो पडेगा ही | अरे भाई मनाओ पर अपनी हालत देख के मनाओ | यहा 30% लोग ऐसे है जो एक वक्त की रोटी भी नही खा सकते, 80% मध्यम वर्ग के लोग ऐसे है जो घर की जरूरते पुरी नही कर पाते, सिर्फ 10% लोग ही ऐसे है जो कितना भी खर्चा कर सकते है हर रोज उत्सव मना सकते है | ईसलिये नही की ये अमीर है बल्की ईसलिये की आपका सारा पैसा इनके पास ही जाता है |
मेरे भाइयों पहले अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करो उसके बाद चाहे जितने त्योहार मनाओ | हम हमेशा कहते है अमीर और अमीर बन रहा है और गरिब और ज्यादा गरिब होते जा रहा है ये तो सभी कहते है पर इसका कारण कोई नही समझता अरे बाबा आप कुछ बचायेंगे ही नही तो आप अमीर कैसे होंगे | आप तो अपना सारा पैसा इन त्योहारों मे ही खर्च कर देते हो फ़िर ठन ठन गोपाल बनके रोते रहते हो | उपर से पूजा पाठ, सत्यनारायण, ग्रुहशांती करते ही रहते हो तो बताओ तुम्हारे पास पैसा कैसे आयेगा ? तुम लोग खुद अमीरों को और अमीर बना रहे हो और खुद हि खुद को गरीब |
इसी तरहा मुस्लिम भी चाहे कितने भी गरिब क्यों ना हो कर्जा लेकर, जमीन बेंच कर, लोन लेकर और न जाने क्या क्या करके मक्का मदिना हज को जाते है | अपनी जिन्दगीभर की कमाई 3-4 दिन मे ही खतम कर देते हो | याने तुम्हारी गरिबी का कारण तुम खुद हो | और कितनी पिढीयों को गरिबी मे जीना सिखाओगे | मैने देखा है तुम्हारी हालत को कैसे रहते हो क्या खाते हो तो पहले अपना घर संभालो उसके बाद चले जाना हज को | वैसे भी कौनसे अल्लाह वहा तुम्हारी राह देख रहे है उसके बजाय अपने घर की तरफ़ ध्यान दो, घरवालों की स्थिति बदलो अल्लाह अपने आप खुश हो जायेगा |
मैं जानता हु तुम हज को क्यों जाते हो पर ये गलत है क्यों की खुद अल्लाह ने कहा है अपने घर के 40 घर तक कोई भूखा ना रहे और तुम तो हज के लिये इतना खर्च करते हो की घर मे ही खाने के लाले पड जाते है | धर्म को मानो पर अपनी हैसियत देख कर ही खर्चा करो | जब बचत ज्यादा होगी तो त्योहार उससे भी अच्छे से मना पाओगे | जागो.... अपने परिवार को मजबूत करो |
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