ब्रामण की पोल खोल
गाँव में सत्य नारायण की पूजा बहुत होती थी।
🎈 हमने पूजा की पोल खोलने की ठानी।
मैंने एक मित्र को प्लानिंग के साथ पूजा में बिठाया। पंडितजी ने गोबर के गणेश बनाकर मित्र को कहा कि गणेशजी पर पानी प्राछन्न करो।
🎈 मेरे मित्र ने कहा कि यह तो गाय का गोबर है लेकिन आप गणेश कह रहे हैं। यह गलत है।
⛳ पंडितजी ने कहा मान लो गणेशजी हैं।
🎈मित्र ने कहा कैसे मान ले ?❓
⛳पंडित जी ने कहा अरे भाई मै कहता हूँ मान लो।
🎈 मित्र ने कहा ठीक है। पूजा शुरू हुई । पूजा में पंडितजी ने तमाम उदहारण देकर बताया की जिसने सत्य नारायण की पूजा की उसे लाभ हुआ जिसने नहीं सुनी उसे नुकसान हुआ।
🎈 मेरे मित्र ने कहा पंडित जी आपने बताया जिसने सुनी उसे फायदा हुआ, जिसने नहीं सुनी उसे नुकसान हुआ लेकिन वह कथा/मन्त्र क्या है।
⛳पंडितजी निरुत्तर।
खैर कथा समाप्त होने के बाद मेरे
🎈मित्र ने उसी गोबर गणेश को उठाया और उसे गोल-गोल करके पेड़ा (मिठाई) का आकार देकर ,,,,,, पंडित जी से कहा यह लो पंडितजी प्रसाद के रूप में पेड़ा खाओ।
⛳पंडितजी ने कहा यह तो गोबर है इसे कैसे खाऊ।
🎈 मित्र ने कहा मान लो पेड़ा है।
⛳पंडितजी ने कहा ऐसे कैसे मान लूँ।
🎈 मित्र ने कहा मै कह रहा हूँ मान लो।
⛳पंडितजी ने कहा क्यों ?
🎈मित्र ने कहा आपने मुझे गोबर को गणेश मानने के लिए कहा, मैंने मान लिया, फिर आप क्यों नहीं मानोंगे।
⛳ पंडितजी की सिट्टी पिट्टी गुम। थैला लेकर भागने लगे।
हम लोगों ने उनकी साईकिल पकड़ी और कहा ठीक है यह नहीं खाओगे तो जो प्रसाद (गुड चना की दाल) बना है उसे तो खा लो।
⛳पंडितजी ने थैली देकर कहा कि इसमें दे दो। हम लोगों ने कहा कि प्रसाद मेरे साथ आप भी खाओ। उन्होंने नही खाया और पूछने पर कहा कि मै "आपके घर का प्रसाद " नही खा सकता।
🎈हमने पूछा क्यों ? वही उत्तर आप नीच जाति के हो। फिर मैंने पूंछा अभी आपने कथा में कहा था कि जिसने प्रसाद का तिरस्कार किया उसका सर्वनाश हो गया था, लेकिन आप ही प्रसाद का तिरस्कार कर रहे हैं।
हम लोगो को यहाँ मुर्ख बनाने आते हो क्या ?❓
⛳ पंडितजी साईकिल छोडकर भागने लगे। हमने पूंछा अच्छा यह तो बताते जाओ की जो हर बार बचा हुआ प्रसाद ले जाते थे उसका क्या करते थे ?❓
⛳पंडितजी यह कहते हुए भाग गए कि वह प्रसाद मेरे जानवर खाते हैं।
साथियों मेरा अनुरोध है किसी बात को मानने से पहले जानो। जो प्रसाद आप खाते हो , वाही प्रसाद उनके जानवर खाते हैं अर्थात आपकी गिनती उनकी निगाह में जानवरों के समान है। मानसिक गुलामी की बेड़ियाँ तोड़ दो। उनकी निगाह में जानवरों के समान है।
सोंचों और सत्य नारायण कथा सुनों
परन्तु तर्क करो
पहले तो हम पढे लिखे नहीं थे परन्तु अब तो महापुरुषों के बलिदान कि वजह से
भारत के संविधान कि वजह से पढ गए हैं
तर्क करो
बेवकूफ बनना बंद करो
मानसिक गुलामी की बेड़ियाँ तोड़ दो।
ये जिसने ब्राह्मणों का मजाक उड़ाया है वो साला madarchod है उसकी बहन ka lauda maru madarchod hijde की aulad
जवाब देंहटाएंTo kya parashuram hi pushyamitrashung tha ,ram laxman bharat shtruhan aur unke purvaj kalpnik h
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