विश्वकर्मा पूजा का पाखण्ड ।
(मैंने आपको यह रचना बहुत ही संक्षेप में रचित की है , कृपया पढ़ कर अपने अंध विश्वास को दूर करने की कृपा करें )
एक बार भंते सुमेधानंद एक कम्पनी के दरवाजे से गुजर रहे थे , वहाँ पर भगवान विश्वकर्मा पूजा की तैयारियां जोर शोर के साथ चल रही थीं। भंते ने एक ब्राह्मण से इस तैयारी के सम्बंध में पूछा , ब्राह्मण ने भंते को बताया कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा की तैयारियां चल रही हैं ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! विश्वकर्मा की पूजा क्यों की जाती है ?
ब्राह्मण - हे भंते ! भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि की रचना की। इसलिए विश्वकर्मा की पूजा की जाती है ।
श्रमण ! हे ब्राह्मण ! आपके भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि की रचना कैसे और क्यों की थी ? उनको ऐसी क्या जरूरत पड़ गई थी कि उनको सृष्टि की रचना के लिए मजबूर होना पड़ा ।
ब्राह्मण - हे भंते ! इस सम्बंध में मुझे कोई जानकारी नही है ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! यदि विश्वकर्मा द्वारा पूरी सृष्टि की रचना की गई है तो हर जीवजन्तु , दुनिया के हर मनुष्य और सजीव निर्जीव सभी पदार्थों को उसकी पूजा करनी चाहिए और उसको पिता के रूप में जानना चाहिए ।
ब्राह्मण - हे भंते ! सत्य है ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! आपके विश्वकर्मा को जापान , अमेरिका , रूस और संसार के सभी देशों के लोग जानते हैं ।
ब्राह्मण - नही भंते ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! संसार के सभी जीव जन्तु जानते हैं कि हमारी रचना भगवान विश्वकर्मा द्वारा की गई है ।
ब्राह्मण - नही भंते !
श्रमण - हे ब्राह्मण ! भारत देश के चंद ब्राह्मणों के पाखण्ड को छोड़कर संसार के किसी भी जीवजन्तु और मनुष्य द्वारा क्या आपके भगवान विश्वकर्मा को जाना जाता है ।
ब्राह्मण - नही भंते !
श्रमण - हे ब्राह्मण ! संसार के 99 प्रतिशत मनुष्य और 100 प्रतिशत जीवजन्तु एवं अन्य किसी ग्रह के लोग आपके भगवान विश्वकर्मा को जानते ही नही है तो विश्वकर्मा सृष्टि के रचनाकार कैसे हुए ।
ब्राह्मण - सत्य है भंते ! रचनाकार नही हुये ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! विश्वकर्मा की पूजा हमारे देश में की जाती है और विज्ञान और तकनीकी विद्या के क्षेत्र में हमारा ही देश सबसे अधिक पीछे है ।
ब्राह्मण - हे भंते ! सत्य है ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! अमेरिका , जापान , रूस और चीन द्वारा विश्वकर्मा की कोई पूजा नही की जाती है , परन्तु ये देश विज्ञान और तकनीकी विद्या में हमारे देश से सैकड़ों वर्ष आगे हैं ।
ब्राह्मण - हे भंते ! सत्य है ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! आपके विश्वकर्मा की एक भी विज्ञान और तकनीकी विद्या की खोज बताइये , जो अपने देश या संसार को दी गई है ।
ब्राह्मण - हे भंते ! विश्वकर्मा द्वारा अपने देश या संसार को कोई भी खोज नही दी गई है।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! आपके विश्वकर्मा द्वारा न तो सृष्टि की रचना की गई है और न ही संसार को कोई भी वैज्ञानिक और तकनीकी खोज दी गई तो उसकी पूजा क्यों की जाती है ?
ब्राह्मण - हे भंते ! सत्य है , विश्वकर्मा की पूजा का कोई औचित्य नही है ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! संसार के 0.5 प्रतिशत ब्राह्मणों द्वारा अपने पुरखे विश्वकर्मा की सृष्टि की रचनाकार के रूप में पूजा करने का मात्र एक षड्यंत्र है , जिसके माध्यम से ब्राह्मण लोग अपने आपको उच्च बता सकें और समस्त देश के 96 प्रतिशत लोगों को और उनके पुरखों को तुच्छ बता सकें ।
ब्राह्मण - सत्य है भंते ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! तुम अर्हत हो ।
ब्राह्मण - हाँ , भंते मैं अर्हत हूँ ।
श्रमण - हे बुद्धिमान ब्राह्मण ! 13.7 अरब वर्ष से सूर्य पर संलयन और विघटन की न्यूक्लियर प्रकिया संचालित है , यदि इस न्यूक्लियर प्रक्रिया को विश्वकर्मा ने विकसित किया , तो विश्वकर्मा द्वारा यह तकनीक हमारे देश को 13.7 अरब वर्ष पूर्व क्यों नही बताई गयी ।
ब्राह्मण - हे भंते ! सत्य है । यदि यह न्यूक्लियर प्रक्रिया विश्वकर्मा द्वारा 13.7 अरब वर्ष पूर्व अपने देश को बता दी गई होती तो अपना देश सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में तकनीकी विद्या में सबसे आगे होता ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! वैज्ञानिक रूप से यह सिद्ध है कि सूर्य की रचना 13.7 अरब वर्ष पूर्व हुई थी और पृथ्वी की उत्पत्ति 4.3 अरब वर्ष पूर्व हुई थी एवं चन्द्रमा की उत्पत्ति 3.9अरब वर्ष पूर्व हुई थी और उस समय सूर्य ,पृथ्वी और चन्द्रमा का लाखों डिग्री तापक्रम था , तो उनकी रचना विश्वकर्मा ने कैसे की , इतने प्रकार की धातु और गैसें कैसे उत्पन्न की और कौनसे स्थान पर खड़े होकर की ।
ब्राह्मण - हे भंते ! विश्वकर्मा द्वारा सृष्टि की रचना एक पाखण्ड है ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! यह सर्वविदित है कि सभी ग्रह और उपग्रह एक दूसरे के गुरुत्वाकर्षण बल से बधें हुए हैं , इस गुरुत्वाकर्षण की खोज यदि विश्वकर्मा द्वारा की गई तो 13.7 अरब वर्ष पूर्व संसार को गुरुत्वाकर्षण के सम्बंध में विश्वकर्मा द्वारा बताय
(मैंने आपको यह रचना बहुत ही संक्षेप में रचित की है , कृपया पढ़ कर अपने अंध विश्वास को दूर करने की कृपा करें )
एक बार भंते सुमेधानंद एक कम्पनी के दरवाजे से गुजर रहे थे , वहाँ पर भगवान विश्वकर्मा पूजा की तैयारियां जोर शोर के साथ चल रही थीं। भंते ने एक ब्राह्मण से इस तैयारी के सम्बंध में पूछा , ब्राह्मण ने भंते को बताया कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा की तैयारियां चल रही हैं ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! विश्वकर्मा की पूजा क्यों की जाती है ?
ब्राह्मण - हे भंते ! भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि की रचना की। इसलिए विश्वकर्मा की पूजा की जाती है ।
श्रमण ! हे ब्राह्मण ! आपके भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि की रचना कैसे और क्यों की थी ? उनको ऐसी क्या जरूरत पड़ गई थी कि उनको सृष्टि की रचना के लिए मजबूर होना पड़ा ।
ब्राह्मण - हे भंते ! इस सम्बंध में मुझे कोई जानकारी नही है ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! यदि विश्वकर्मा द्वारा पूरी सृष्टि की रचना की गई है तो हर जीवजन्तु , दुनिया के हर मनुष्य और सजीव निर्जीव सभी पदार्थों को उसकी पूजा करनी चाहिए और उसको पिता के रूप में जानना चाहिए ।
ब्राह्मण - हे भंते ! सत्य है ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! आपके विश्वकर्मा को जापान , अमेरिका , रूस और संसार के सभी देशों के लोग जानते हैं ।
ब्राह्मण - नही भंते ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! संसार के सभी जीव जन्तु जानते हैं कि हमारी रचना भगवान विश्वकर्मा द्वारा की गई है ।
ब्राह्मण - नही भंते !
श्रमण - हे ब्राह्मण ! भारत देश के चंद ब्राह्मणों के पाखण्ड को छोड़कर संसार के किसी भी जीवजन्तु और मनुष्य द्वारा क्या आपके भगवान विश्वकर्मा को जाना जाता है ।
ब्राह्मण - नही भंते !
श्रमण - हे ब्राह्मण ! संसार के 99 प्रतिशत मनुष्य और 100 प्रतिशत जीवजन्तु एवं अन्य किसी ग्रह के लोग आपके भगवान विश्वकर्मा को जानते ही नही है तो विश्वकर्मा सृष्टि के रचनाकार कैसे हुए ।
ब्राह्मण - सत्य है भंते ! रचनाकार नही हुये ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! विश्वकर्मा की पूजा हमारे देश में की जाती है और विज्ञान और तकनीकी विद्या के क्षेत्र में हमारा ही देश सबसे अधिक पीछे है ।
ब्राह्मण - हे भंते ! सत्य है ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! अमेरिका , जापान , रूस और चीन द्वारा विश्वकर्मा की कोई पूजा नही की जाती है , परन्तु ये देश विज्ञान और तकनीकी विद्या में हमारे देश से सैकड़ों वर्ष आगे हैं ।
ब्राह्मण - हे भंते ! सत्य है ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! आपके विश्वकर्मा की एक भी विज्ञान और तकनीकी विद्या की खोज बताइये , जो अपने देश या संसार को दी गई है ।
ब्राह्मण - हे भंते ! विश्वकर्मा द्वारा अपने देश या संसार को कोई भी खोज नही दी गई है।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! आपके विश्वकर्मा द्वारा न तो सृष्टि की रचना की गई है और न ही संसार को कोई भी वैज्ञानिक और तकनीकी खोज दी गई तो उसकी पूजा क्यों की जाती है ?
ब्राह्मण - हे भंते ! सत्य है , विश्वकर्मा की पूजा का कोई औचित्य नही है ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! संसार के 0.5 प्रतिशत ब्राह्मणों द्वारा अपने पुरखे विश्वकर्मा की सृष्टि की रचनाकार के रूप में पूजा करने का मात्र एक षड्यंत्र है , जिसके माध्यम से ब्राह्मण लोग अपने आपको उच्च बता सकें और समस्त देश के 96 प्रतिशत लोगों को और उनके पुरखों को तुच्छ बता सकें ।
ब्राह्मण - सत्य है भंते ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! तुम अर्हत हो ।
ब्राह्मण - हाँ , भंते मैं अर्हत हूँ ।
श्रमण - हे बुद्धिमान ब्राह्मण ! 13.7 अरब वर्ष से सूर्य पर संलयन और विघटन की न्यूक्लियर प्रकिया संचालित है , यदि इस न्यूक्लियर प्रक्रिया को विश्वकर्मा ने विकसित किया , तो विश्वकर्मा द्वारा यह तकनीक हमारे देश को 13.7 अरब वर्ष पूर्व क्यों नही बताई गयी ।
ब्राह्मण - हे भंते ! सत्य है । यदि यह न्यूक्लियर प्रक्रिया विश्वकर्मा द्वारा 13.7 अरब वर्ष पूर्व अपने देश को बता दी गई होती तो अपना देश सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में तकनीकी विद्या में सबसे आगे होता ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! वैज्ञानिक रूप से यह सिद्ध है कि सूर्य की रचना 13.7 अरब वर्ष पूर्व हुई थी और पृथ्वी की उत्पत्ति 4.3 अरब वर्ष पूर्व हुई थी एवं चन्द्रमा की उत्पत्ति 3.9अरब वर्ष पूर्व हुई थी और उस समय सूर्य ,पृथ्वी और चन्द्रमा का लाखों डिग्री तापक्रम था , तो उनकी रचना विश्वकर्मा ने कैसे की , इतने प्रकार की धातु और गैसें कैसे उत्पन्न की और कौनसे स्थान पर खड़े होकर की ।
ब्राह्मण - हे भंते ! विश्वकर्मा द्वारा सृष्टि की रचना एक पाखण्ड है ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! यह सर्वविदित है कि सभी ग्रह और उपग्रह एक दूसरे के गुरुत्वाकर्षण बल से बधें हुए हैं , इस गुरुत्वाकर्षण की खोज यदि विश्वकर्मा द्वारा की गई तो 13.7 अरब वर्ष पूर्व संसार को गुरुत्वाकर्षण के सम्बंध में विश्वकर्मा द्वारा बताय
यह सरासर गलत है आपतो सच में मुर्ख हो भगवान विश्वकर्मा ने
जवाब देंहटाएंलंका पुरी व्दारिका पुरा स्वर्ग लोक कि स्थापना की है
ब्रम्हा को कमंडल दिया
विष्णु जी को चक्र
नारद जी को शर्गी दिया
शंकरजी को त्रिशूल
आप गलत प्रचार प्रसार मत करो
यदि विष्णु, कृष्ण और राम की पूजा पाखंड नहीं है तो विश्वकर्मा की पूजा पाखंड नहीं है. असल में विश्वकर्मा की पूजा पाखंड नहीं है परन्तु विष्णु, कृष्ण और राम की पूजा पाखंड है. विश्वकर्मा का शाब्दिक अर्थ सर्व जगत की रचयिता, विश्व का कर्म प्रेरक. सभी देशों के लोग विश्वकर्मा को जानते है और विश्वकर्मा का पूजा करते है
जवाब देंहटाएंजिनके प्रभाव तुरंत हो उस पर विश्वास रखते है
जवाब देंहटाएंधन्य था वो भंते और वो ब्राह्मण. एक बात बताओ, क्या उस भंते को अपने परदादा के बाप का नाम पता है ? यदि नहीं तो उन्हें अपने खानदान का पुरखा मानना बुद्धिहीनता है इस तर्क के अनुसार.
जवाब देंहटाएंऔर रही तकनीकी बताने की बात, तो सिंधु घाटी में की ही तकनीकियां लोग भूल गये उसके पहले की तो छोड़ ही दो. और भंते जी को बता दीजिये की उस समय जब नुक्लिअर रिएक्शन बनाया था तब मानव नहीं बनाये थे और जब मानव बन गये तब विश्वकर्मा आराम करने लगे.
तर्क ती सही से गढ़ो. कोई भंते मुझे बता दे की जब कुछ भी नहीं था तब बिग बैंग क्यों और कैसे हुआ? पदार्थ कहाँ से आया ?