मंगलवार, 27 जून 2017

पहले जानो, फिर मानो


1-किसी भी बात को इसलिए नहीं मान लेना चाहिए कि उसे आपके पूर्वज मानते आये हैं !
2-किसी भी बात को इसलिए नहीं मान लेना चाहिए कि वह बहुत सारी किताबो में लिखी है !
3-किसी भी बात को इसलिए नहीं मान लेना चाहिए कि वह परम्परा से चली आ रही है !
4-किसी भी बात को इसलिए नहीं मान लेना चाहिए कि उसे बहुत सारे लोग मानते हैं !
बल्कि उस बात को मानना चाहिए, जो तर्क की कसौटी पर खरी उतरती हो, परिक्षण में खरी हो, विज्ञानं के तर्क पर खरी हो ! अर्थात : पहले जानो, फिर मानो !
"नास्तिक" होना आसान नही
कोई भी "नासमझ" इंसान "ईश्वर" के अस्तित्व को मानकर फ्री हो जाता है उसके लिए उसे "बुद्धि" की जरुरत नही होती परंतु नास्तिक होने के लिए "दृढ विश्वास और साहस" की जरूरत होती है ऐसी "योग्यता" उन लोगो के पास होती है जिनके पास "प्रखर तर्क बुद्धि" होती है. "अंधश्रद्धा" ऐसा "केमिकल" है जो इंसान को "मूर्ख" बनाने मे काम आता है .
-- पेरियार ई.वी. रामास्वामी
@ हिन्दू धर्म का विचित्र इतिहास @
1- मंदोदरी " मेंढकी " से पैदा हुई थी !
2- " श्रंगी ऋषि " " हिरनी " से पैदा हुये थे !
3- " सीता" " मटकी" मे से पैदा हुई थी !
4- " गणेश " अपनी " माँ के मैल " से पैदा हुये थे !
5- " हनुमान " के पिता पवन " कान " से पैदा हुये थे !
6- हनुमान का पुत्र # मकरध्वज था जो # मछ्ली के मुख से पैदा हुआ था !
7- मनु सूर्य के पुत्र थे उनको छींक आने पर एक लड़का नाक से पैदा हुआ था !
8- राजा दशरत की तीन रानियो के चार पुत्र जो फलो की खीर खाने से पैदा हुये थे
9- सूर्य कर्ण का पिता था। भला सूर्य सन्तान कैसे पैदा कर सकता है वो तो आग का गोला है !
" ब्रह्मा " ने तो 4 वर्ण यहां वहां से निकले हद है !!
" दलित " का बनाया हुआ " चमड़े का ढोल"
# मंदिर में बजाने से मंदिर # अपवित्र नहीं होता!
" दलित " मंदिर में चल जाय तो मंदिर " अपवित्र " हो जाता है।
# उन्हें इस बात सेकोई # मतलब नहीं की # ढोल किस जानवरकी चमड़ी से बना है।
उनके लिए # मरे हुए जानवर की चमड़ी पवित्र है,
पर जिन्दा दलित अपवित्र....!!
" लानत है ऐसे धर्म पर" ....!!!
" बुद्धिजीवी " प्रकाश डाले !! दिमाग की बत्ती जलाओ अंधविश्वास भगाऔ
यदि " पूजा-पाठ " करने से ही " बुद्धि " और " शिक्षा " आती तो...
" पंडों की औलादें " ही विश्व में # वैज्ञानिक-डॉक्टर-इंजीनियर "# होती..!!
" वहम् " से बचों अपने बच्चों को " उच्च शिक्षा " दिलवाओ..#
क्योंकि,
" शिक्षा " से ही " वैज्ञानिक-डॉक्टर-इंजीनियर " और शासक बनते हैं ..!
# " पूजा-पाठ " से नहीं..!
# अतः " वहम् " का कोई ईलाज नहीं ..!!
और
" शिक्षा" का कोई # जवाब नहीं..!!
" शिक्षित बनो " .. " संगठित रहो " .. " संघर्ष करो "
जय भीम नमो बुद्धस्स
ब्राह्मण धर्म और बलात्कार
____ये है सनातन धर्म ____
क्या आप जानते हैं ?
इन्द्र ने - गौतम ऋषि की पत्नी "अहिल्या " के साथ रेप किया !
चन्द्रमा ने - अर्क अर्पण करती ब्रहस्पति की पत्नी "तारा " के साथ रेप किया !
अगस्त्य ऋषि ने - सोम की पत्नी "रोहिणी " के साथ रेप किया !
ब्रहस्पति ऋषि ने - औतथ्य की पत्नी व मरूत की पुत्री "ममता "के साथ रेप किया !
पराशर ऋषि ने - वरुण की पुत्री "काली "के साथ रेप किया !
विश्वामित्र ने - अप्सरा "मोहिनी" के साथ सम्भोग किया !
वरिष्ठ ऋषि ने - "अक्षमाला " के साथ रेप किया !
ययाति ऋषि ने - "विश्ववाची "के साथ रेप किया !
पांडु ने - "माधुरी "के साथ रेप किया !
राम के पूर्वज राजा दण्ड ने - शुक्राचार्य की पुत्री "अरजा "के साथ रेप किया !
ब्रह्मा ने - अपनी बहिन गायत्री और पुत्री सरस्वती के साथ रेप किया !
ऐसी न जानें कितनी घटनाएँ इनके धर्म ग्रन्थों में भरी पढ़ी हैं इस पोस्ट को करने का मेरा एक ही मकसद है मैं हिन्दू धर्म के ठेकेदारों से पूछना चाहता हूँ ?
इन बलात्कारियों का दहन क्यों नहीँ ? और -
"रावण महान " जैसे महा विद्वान शीलवान व्यक्तित्व का जिसने सीता का अपहरण तो किया पर कोई शील भंग नहीँ किया, ऐसे नारी को सम्मान देने वाले "रावण " का दहन आखिर क्यों ?
जागो बहुजन जागो
____ रत्न विचार
भगवान से *न्याय* मिलता,
तो *न्यायालय* नहीं होते।
सरस्वती से *ज्ञान* मिलता,
तो *विद्यालय* नहीं होते।
दुआओ से *काम* चलता,
तो *औषधालय* नहीं होते।
बिन काम किये *भाग्य* चमकता,
तो *कार्यालय* नहीं होते।
मंदिर धर्म के दलालों की *निजी दुकान* है, जो कि कुछ *विशेष जाती* के लोगो को ही फायदा पहुँचाने के लिए है।
वहाँ वही जाते हैं, जो *दिमाग से गुलाम* होते हैं।
सोच बदलो, ब्राह्मणवाद मिटाओ।
इंसान को मान बैठा भगवान
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मैं भी मंदिर बहुत गया हूँ।
मंदिर में रखी मूर्ति के भोग भी बहुत लगाये हैं।
भगवान के चरणों में रूपये भी बहुत रखे हैं।
परंतु किसी भी भगवान को मैंने इंसान की समस्या के लिए दरबार लगाते नहीं देखा l
परंतु कभी किसी भगवान को मैंने भक्त के लिए मंदिर के बंद दरवाजें खोलते हुए नहीं देखा।
कभी मंदिर यानी अपने घर में मोमबत्ती अगरबत्ती चलाते नहीं देखा
मंदिर में हो रहे बलात्कार को कभी रुकते नहीं देखा l
कभी किसी भगवान को मेरे द्वारा चढ़ाये गये भोग को सेवन करते नहीं देखा।
कभी किसी भगवान को पानी पीते नहीं देखा।
कभी किसी भगवान को नहाते नहीं देखा।
कभी किसी भगवान को कपड़ें लेकर पहनते नहीं देखा।
कभी किसी भगवान को टॉयलेट जाते नहीं देखा।
कभी किसी भगवान को उसके हाथ से पैसे पकड़ते नहीं देखा।
कभी किसी भगवान ने आशीर्वाद देने के लिए मेरे सिर पर हाथ नहीं रखा।
कभी किसी भगवान ने मुझे गले नहीं लगाया।
कभी किसी भगवान को मैंने मुझे दु:ख-दर्द, परेशानी में मुझे संभालते नहीं देखा।
क्या देखा ?
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भगवान के नाम पर भोग खाते ब्राह्मण को देखा।
भगवान के नाम पर पैसे लेते ब्राह्मण को देखा।
भगवान के नाम पर कपड़ें लेते और पहनते ब्राह्मण को देखा।
भगवान के मंदिर में से पैसे उठाते ब्राह्मण को देखा।
भगवान के मंदिर में चढा़ये पैसों से मालामाल होते ब्राह्मण को देखा।
मैं बेवकूफ मंदिर गया भगवान को मानने और मान बैठा इंसान को।
आस्था का सैलाब तो देखों कि जब ब्राह्मण को भगवान को लूटते देखा तो खुश हुआ,
परंतु भगवान के चढ़ावें को खुद उठाने से डरता था कि भगवान पर चढ़ाया हुआ लेना पाप है। भगवान नाराज होकर श्राप दे देगा।
क्या मानसिकता थी कि भगवान के नाम का तो ब्राह्मण ही ले सकता हैं, मैं ले लूँ तो चोर, लुटेरा, अधर्मी कहलाउंगा।
वाह रे इंसान, तू भगवान की मूर्ति के चक्कर में एक नालायक, चोर, लुटेरे इंसान को भगवान मान बैठा।
इंसान को भगवान मानने की गलती करने के लिये मुझे क्षमा करें।

3 टिप्‍पणियां:

  1. Apni ma chuda bhim mulle bhagwan ke upar post kiya n teri ma chod denge chtu lvde

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  2. तो तर्क वितर्क से बात करो गाली देना मतलब समने वाले कि बात में दम है और जवाब ना होने की सूरत में गाली दो और भाग जाओ

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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